विधेयक के प्रारूप पर निर्भर होगा भ्रष्टाचार का नियंत्रण
जन लोकपाल विधेयक का पारित होना हमारे देश में हो रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ नियंत्रण की एक सकारात्मक पहल है. लेकिन भ्रष्टाचार का समाप्त होना निर्भर करेगा विधेयक के प्रारूप पर उसकी नियमावली पर. कानून अगर सख्त होगा तो ही हम उम्मीद कर सकते हैं की दागी नेता, मंत्री एवं अधिकारीयों को कड़ी से कड़ी सजा मिले. लेकिन कानून तो हमारे देश में कई बनते हैं और सिस्टम की कोम्प्लेक्सिटी का फायदा उठा कर उस कानून से बचने के उपाय पहले ही सोच लिए जाते हैं और अपराधी क्लीन चिट लेकर बाहर आ जाते हैं और केस फाइलों में दब कर रह जाते हैं.
आम जनता जो भ्रष्टाचार के खिलाफ आन्दोलन में खडी है अगर अपना आत्मवलोकन करे तो हम भी कहीं न कहीं भ्रष्ट हैं उदाहरण के तौर पर आम जनता ही रेल्वे में टी. टी को सीट के लिए रिश्वत देती है, वाहन के कागज़ात न होने पर हम ही ट्राफिक पुलिस को चालान न काटने की गुहार लगते हुए रिश्वत देते हैं ऐसे और भी कई उदाहरण हैं जहाँ हम खुद भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हैं ........................सबसे पहले आम जनता को खुद इस आदत पर अंकुश लगाना होगा तभी हम भ्रष्टाचार का सही मायनों में विरोध कर पाएंगे अन्यथा कितने भी कानून बन जाएँ यह समस्या समाप्त नहीं हो पायेगी .
जयदीप भागवत
१९..सन सिटी
महालक्ष्मी नगर , इंदौर ..
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