Monday, December 5, 2011

KOLAVERI ..........D

 प्रसार तंत्र का दबाव 

आज की युवा पीढ़ी जिस स्तर का संगीत पसंद करती है उस वातावरण में "कोलावेरी डी" एक आविष्कार की तरह है जिसकी धुन औसत है और बोल अर्थहीन हैं लेकिन फिर भी आज हर व्यक्ति के बीच यह चर्चा का विषय बना हुआ है, खासतौर पर युवा वर्ग जो अपना अधिकतर समय इन्टरनेट पर सोशल नेटवर्किंग साईट्स पर गुज़रता है | इस गीत को सर्वप्रथम "यू ट्यूब" पर लोड किया गया था जिसके द्वारा सारी दुनिया में इसका प्रचार हुआ और लाखों करोड़ों लोगों ने इसे सुना और अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की जब करोड़ों प्रतिक्रियाएं इन्टरनेट पर आने लगी तो अन्य लाखों लोगों ने भी इसे उत्सुकतावश देखा और सुना और प्रसार तंत्र के माध्यम टेलिविज़न और रेडियो चेनल्स पर भी इसे प्रसारित किया जाने लगा और करोड़ों की भीड़ और प्रसार तंत्र ने ऐसा दबाव बनाया की इस गीत ने दुनिया में धूम मचा दी और लोग इसे सुनने के लिए बाध्य हो गए. इसका मुख्य श्रेय प्रसार तंत्र को ही जाता है क्योंकि आने वाले समय में यह गीत अन्य किसी अर्थहीन गीत के प्रचार और प्रसार के बोझ तले दब जायेगा तब हम "व्हाय दिस कोलावेरी डी" की जगह बोलेंगे " वेयर इज कोलावेरी डी ".