Monday, March 28, 2011

अपराध की अंधी गलियों में गुमराह युवा



समाज में हो रहे अपराधों का अगर अवलोकन करें तो इनमे अधिकतर युवा वर्ग शामिल है जो की अपराध की परिभाषा में संगठित अपराध की श्रेणी में नहीं आते हैं...... इनके द्वारा किये जा रहे अपराध या तो बुरी संगत के दोस्तों के बहकावे में आकर या रुपयों के लालच में किये जाते हैं......... इसका मुख्य कारण हमारी संस्कृति का बिगड़ता स्वरुप और आज का सिनेमा भी है जिस प्रकार की हिंसा आज हिंदी सिनेमा में दिखाई जाती है उसका असर युवा वर्ग पर बहुत जल्द पड़ता है..... माना की सिनेमा समाज का आईना है और आज कल वास्तविकता दर्शाने वाली फिल्मो का ज़माना है............ पर ऐसी वास्तविकता दिखाने का क्या फायदा जो आज के युवा वर्ग को अपराध के लिए प्रेरित कर दे...... जितनी सहजता से फिल्मो में हिंसा दिखाई जाती है उतनी ही सरलता से अच्छे सन्देश भी दिए जा सकते हैं पर ऐसा अमूमन कम ही दिखता है.
आज की भागदौड़ भरी ज़िन्दगी में माता पिता भी काम में व्यस्त रहने के कारण अपने बच्चों की गतिविधियों पर ध्यान नहीं रख पाते......... और अच्छी पारिवारिक पृष्ठभूमि का दावा करने वाले परिवारों के बच्चे ही या तो अपराधी बन जाते हैं या अपने परिवार के लोगों का या दोस्तों का क़त्ल कर देतें हैं............... आज का युवा वर्ग अधिकतर समय.......... डिस्कोथेक्स, पब्स, पाँच सितारा होटल्स और हुक्का लाउंज में  बिताना चाहता है जहाँ विलासिता की भावना जन्म लेती है और शौक पुरे करने के लिए अच्छी खासी रकम की ज़रूरत पड़ती है... ऐसे समय में खासतौर पर मध्यमवर्गीय परिवार के युवा बहक कर अपराध की अंधी गलियों में गुमराह हो जाते हैं.. सोचना हमे है की आज के युवा वर्ग को कैसे सही दिशा दी जाये अन्यथा यह बीमारी इसी तरह बढती रहेगी और न जाने कितने गुलशन समद की तरह  उजड़ते रहेंगे.
  

Monday, March 7, 2011

NGO

एन.जी.ओ की आड़ में अवैध कारोबार  हमारे देश एवं समाज के लिए ये बड़े ही शर्म की बात है की मुंबई के पनवेल छेत्र में मंदबुद्धि महिला आश्रम चलाने वाली एक एन.जी.ओ द्वारा मंदबुद्धि बालिकाओं का योन शोषण किया गया और उन्हें वासना के भूखे भेडियों के सामने परोसा गया ये जानते हुए की कुदरत ने उन मासूमों को सोचने एवं समझने की शक्ति से भी महरूम रखा है.... शर्म आती है हमारे इंसान होने पर और उन लोगों की विक्षिप्त मानसिकता पर जिन्होंने ऐसा कृत्य किया और उन पर जिन्होंने बालिकाओं को इस घिनोने कृत्य में धकेला.
हमारे देश में ऐसे कई संस्थान चल रहे हैं जो समाज सेवा के नाम पर इस प्रकार के घिनोने अपराधों को अंजाम दे रहे हैं...... महिलाओं पर अत्याचार, बलात्कार एवं योन शोषण तो हमारे सभ्य और सुशिक्षित बनने का दावा करने वाले समाज में आम बात है पर इस प्रकार की घटनाएँ इंसान के दरिन्दे होने का प्रमाण देती है.
सरकार को चाहिए की ऐसी संस्थाओं का रजिस्ट्रेशन निरस्त किया जाये और संस्था के संरक्षकों और अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाये.

NETWORK MARKETING

नेटवर्क मार्केटिंग पैसा कमाने का शार्टकट या छलावा
 

नेटवर्क मार्केटिंग का जाल हमारे देश में १९९९ के बाद काफी रफ़्तार से फैला है....................... इसकी शुरुआत एक कनज्युमर प्रोडक्ट कंपनी द्वारा की गयी थी और देखते देखते कई कम्पनियाँ
जैसे जापानी गद्दे, वज़न घटाने वाले उत्पाद, स्वदेशी उत्पाद इत्यादि................. और सिलसिला शुरू हुआ लोगों को कम समय में अधिक पैसा कमाने के सब्जबाग दिखाने का. जैसा की हमारे देश में भेड चाल का रिवाज़ रहा है असंख्य लोग इससे जुड़ने लग गए भीड़ में हर दूसरा आदमी नेटवर्क मार्केटिंग की बात करते हुए दिखाई देता है इससे जुड़े लोगों की बातें सुनकर ऐसा लगता है जैसे दुनिया के सबसे अमीर और सुखी आदमी यही है..
अब अगर हम इन कंपनियों के काम करने के तरीके पर नज़र डालें तो वो अंदाज़ भी बड़ा नायाब है...... अचानक आपके पास किसी पुराने भूले बिसरे दोस्त का फोन आता है जिससे आप शायद पिछले दस सालों से न मिले हों और वह कहता है आज शाम को वो आपके घर चाय पर आना चाहता है आपकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहता और आप दोस्त के मिलने की ख़ुशी में शाम होने का इंतज़ार करने लगते हैं.. दोस्त के आते ही कुछ औपचारिक और भूली बिसरी बातों के बाद..... धीरे से आपका दोस्त आपके परिवार, व्यापार, नौकरी या फिर फिनान्शिअल फ्रीडम की बात करने लगता है और सपने दिखाने लगता है अमीर बनने के बिना इस बात को जाने की क्या आप का इस प्रकार के किसी प्रोजेक्ट में रुझान है भी या नहीं या........ आप अपनी वर्तमान जीवन शैली से संतुष्ट हैं या नहीं. आप पर इतना ज्यादा मानसिक और भावुक दबाव बनाया जाता है.... इस प्रोजेक्ट को ज्वाइन करने का या सेमीनार में शामिल होने का की या तो हाँ बोल देते हैं या फिर सोच कर बताऊंगा यह कह कर टाल देतें हैं. टाल देने से आप बरी नहीं हो जाते कुछ दिनों बाद या तो इसी तरह कोई दूसरा मित्र मिलता है या..... कोई परिचित किसी अन्य नायाब तरीके के साथ आ जाता है कुल मिलाकर इस समस्या का समाधान आज तक कोई ढून्ढ नहीं पाया है की ऐसे अनचाहे बिज़नस प्रोपोसल्स को कैसे मना किया जाये.
सवाल यह है की क्या नेटवर्क मार्केटिंग कंपनियों का यह तरीका जायज़ है ?.......... कुछ लोग इसमें फंस कर कुछ समय तक तो काम कर पाते हैं और बाद में अपने ही दोस्तों और रिश्तेदारों से सम्बन्ध खराब कर लेते हैं या अपनी पूँजी बर्बाद कर लेते हैं... अगर ये कम्पनियाँ वाकई अपना व्यपार बढ़ाना चाहती हैं तो सिर्फ ऐसे लोगों से ही संपर्क करे जो इस बिज़नस को करना चाहते हैं और भविष्य में भी सुचारू रूप से कर सकते हैं. एक सर्वे के मुताबिक ८० % लोग इस प्रकार की बिज़नस में अपना नुक्सान कर चुके हैं क्योंकि कुछ समय बाद वे कम्पनियाँ ही नहीं दिखाई देती जिनमे लोगों को अमीरी के सब्जबाग दिखाए जाते हैं.
सोचना हमे है की नेटवर्क मार्केटिंग द्वारा पैसा कमाने का शार्टकट ढूँढना है या जो व्यापार या नौकरी हम कर रहे हैं उसमे संतुष्ट रहना है.

BHRASHTACHAAR

भ्रष्टाचार के खिलाफ आन्दोलन उचित है
बाबा रामदेव द्वारा भ्रष्टाचार के विरुद्ध छेड़ा गया अभियान वाकई काबिले तारीफ है. आज हमारे देश में सरकारी तंत्र के अलावा प्राइवेट सेक्टर भी भ्रष्टाचार से लिप्त है ऐसे माहोल में बाबा रामदेव का अभियान एक क्रांति की पहल के समान है. हमारे देश के सभी नागरिकों को इस आन्दोलन का समर्थन करना चाहिए जिससे की विदेशों में जमा काला धन हमारे देश में वापस आ सके और देश की तरक्की में उसका उपयोग हो सके. केंद्र सरकार के कुछ राजनेताओं द्वारा किया जा रहा आन्दोलन का विरोध और टिप्पणियां सरकार की छवि पर एक प्रश्नवाचक चिन्ह लगाने जैसा है. अगर इस ..आन्दोलन के द्वारा भ्रष्टाचार का नियंत्रण करने में हम थोड़े भी कामयाब हो गए तो यह भारत के लिए एक उपलब्धि होगी. देखना सिर्फ इतना है की इस आन्दोलन में कोई सियासत न हो और कोशिश ईमानदार हो.