Monday, August 1, 2011

VASTVIKTA KE NAAM PAR ASHLEELTA

वास्तविकता के नाम पर अशलीलता............................................................................................................

अगर हम हिंदी सिनेमा के पिछले एक दशक पर गौर करे तो वास्तविकता और यथार्थवादी फिल्मो का निर्माण अधिक हुआ है और निर्माता एवं निर्देशकों ने वास्तविकता के नाम पर हिंसा और अशलीलता को खूब परोसा है. अभी हम इससे उबर भी नहीं पाए थे के " डेली बेली " ने इस पर गालियों का तड़का और लगा दिया. हमारे समाज का कोई भी वर्ग प्रचलित गालियों से अछूता नहीं है, हमे रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में इन गालियों का सामना करना ही पड़ता है. 
इसी दौर में " सिंघम " जैसी फिल्म भी आई जिसमे बिना किसी हिंसा एवं क्रूरता के एक्शन दृश्यों का मनोरंजक ढंग से प्रस्तुतिकरण किया गया, नायिका को भी सौम्यता से प्रस्तुत किया गया और संवाद भी अश्लील और फूहड़ नहीं थे. साथ ही साथ पुलिस की छवि और कार्यप्रणाली पर भी करारा प्रहार किया गया और अंत में यह सन्देश भी था की सिस्टम में रहते हुए भी बुराइयों का अंत  किया जा सकता है. फिल्मो का उद्देश्य होता है मनोरंजन के साथ समाज को एक सकारात्मक सन्देश भी दे लेकिन " डेली बेली " देखकर ऐसा लगता है की इस फिल्म ने सिर्फ उन लोगों के शब्द कोष में वृद्धि की है जिनके वाक्य की शुरुआत और अंत ही गालियों से होती है. हो सकता है की " डेली बेली " भविष्य में निर्मित होने वाली फिल्मो का आधारस्तंभ बन जाये जिनमे गालियों का प्रयोग आम हो जायेगा.