Sunday, February 20, 2011

BHARTIYA SAMAJ ME STRIYON KA YOGDAN

भारतीय समाज में स्त्रियों का योगदान .................................
इतिहास से लेकर आज के आधुनिक युग तक अगर नज़र डालें तो भारतीय समाज में स्त्रियों का योगदान पुरुषों के मुकाबले कम नहीं है बदलते समय के साथ साथ स्त्रियों ने भी पुरुषों के सामान ही हर छेत्र में तरक्की की है जिस पर कभी पुरुषों का वर्चस्व हुआ करता था जैसे राजनीति, प्रशासनिक सेवाएँ , कार्पोरेट, खेल इत्यादि सभी छेत्रों में स्त्रियों के अच्छी कार्य क्षमता एवं बुद्धिमत्ता के प्रदर्शन को नकारा नहीं जा सकता.
लेकिन आज भी हमारे समाज में स्त्रियाँ असुरक्षित महसूस करती हैं उन्हें अत्याचार एवं शोषण का शिकार होना पड़ता है वैसे तो सरकार ने महिला योग जैसे संस्थानों का निर्माण कर रखा है  पर सभी के लिए उसका लाभ उठा पाना संभव नहीं हो पाता क्यों की महिलाओं के लिये बने कानून एवं अधिकारों की जानकारी का आभाव भी इसका एक मुख्य कारण है. सरकार को चाहिए के वे महिलाओं को अत्याचार एवं शोषण के विरुद्ध बने कानून एवं अधिकारों से अवगत कराए जिससे की अधिक से अधिक महिलाएं इसका लाभ उठा सकें और अत्याचार के खिलाफ लड़ सके.
इसके अलावा भारतीय समाज में पुरुष महिलाओं के प्रति अपनी सोच में बदलाव लायें ताकि किसी भी महिला को पुरुष प्रधान समाज एवं संस्थान में कार्य करने में असुविधा महसूस न हो.
आज के समाज में अगर हम महिलाओं के योगदान एवं तरक्की की बात करें तो इसका जीता जागता उदाहरण हमारे सामने है एक दिहाड़ी मजदूर की लड़की ने सरकारी स्कूल में शिक्षा प्राप्त कर एयर इंडिया में एयर होस्टेस की नौकरी प्राप्त करी. ये हमारे समाज के लिए गर्व की बात है.

Thursday, February 3, 2011

VALENTINE DAY.......................

प्यार को प्यार ही रहने दो ............................................................
१४ फरवरी .....विश्व प्रेमी प्रेमिका  दिवस के रूप में मनाया जाता है ........ वैसे तो इस ढाई अक्षर के शब्द के कई रूप हैं पर आज के दिन पता नहीं इस शब्द में कौन से पंख लग जाते हैं ...........जो टूटे हुए छत्ते से मधु मक्खी की तरह उड़ने लगता है ........युवा वर्ग में एक विशेष उत्साह दिखाई देता है.......गिफ्ट शोप्स,फ्लावरशोप्स  और ग्रीटिंग कार्ड शोप्स को दुल्हन की तरह सजाया जाता है........शहर की होटलों में विशेष पार्टियाँ आयोजित की जाती हैं....ऐसा लगता है जैसे की सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्यार के इज़हार की तारीख मुक़र्रर की गई हो अगर आज इज़हार ना किया तो फिर अगली १४ तारीख दे दी जाए.
शिक्षण संस्थाओं में उत्सव का माहोल होता है ..........सड़कों पर युवाओं का उत्साह और उमंग देखने लायक नज़ारा होता है ..................ऐसा लगता है जैसे लैला - मजनू , हीर - राँझा, शिरी - फरहाद, रोमिओ  - जुलिअट सभी जन्नत से उतर कर सड़कों पर आ गए हों .................. और सिलसिला शुरू होता है प्यार के इज़हार का गुलाब के फूल, ग्रीटिंग कार्ड्स, गिफ्ट्स ................... इत्यादि के आदान प्रदान से  जिसका प्यार कबूल हो जाता है वह अपने आप को धरती का सबसे खुश नसीब इंसान समझने लगता  है और जिनके दिल टूटते हैं वो एक दो जगह और कोशिश कर के फिर इंतज़ार करते हैं...... अगली १४ फरवरी का इस ख्याल को ज़हन में रखते हुए की ." वो सुबह कभी तो आएगी ".......................
शाम होते होते जिनके दिल मिल जाते हैं वे होटल्स, रेस्टोरेंट्स,गार्डन्स और डी.जे पार्टियों में अपनी शाम बिता लेते हैं...... और टूटे हुए दिल अपना गम गलत कर लेते हैं ..
ऐसा नहीं है की आज का दिन शांतिपूर्ण तरीके से बीत जाता है कई राजनैतिक दल जो इसका विरोध करते हैं वे होटलों, दुकानों में तोड़ फोड़ गार्ड़न्स में युगल जोड़ों के साथ मार पीट और सड़कों पर हुडदंग जैसी वारदातों को अंजाम देते हैं........ ..और ऐवें ही शहर का माहोल बिगड़ जाता है ...उनके अनुसार यह हमारी संस्कृति का अपमान है ...उनका विचार सही है पर तरीका गलत है ........दहशत फैलाना किसी समस्या का समाधान नहीं है ..और ना ही किसी संस्कृति का हिस्सा .......
.... सवाल यह नहीं है की वेलेंटाइन डे मनाना गलत है सवाल यह है की क्या जो तरीका हमने अपना रखा है  वह किस हद तक सही है ..
प्यार सिर्फ एक शब्द नहीं है ये एहसास है रिश्तों का इसका इस तरीके से मज़ाक बना कर सड़कों पर इज़हार करना  इस शब्द और रिश्ते की गरिमा को ठेस पहुँचाने जैसा है.... इसे सौम्यता और शालीनता के साथ भी मनाया जा सकता है और कभी भी इज़हार किया जा सकता है प्यार किसी तारीख का मोहताज नहीं है.......... और भी दिवस हम मनाते हैं पाश्चात्य संस्कृति द्वारा दिए हुए जैसे मदर्स डे , फादर्स डे उस दिन युवाओं का उत्साह कहाँ चला जाता है माता पिता के प्रति आस्था और श्रद्धा व्यक्त  करने का ...................... इतना उत्साह परंपरागत त्योहारों मै क्यों  नहीं दिखाई देता ..  सोचना हमे है की प्यार को प्यार ही रहने देना है या उसका तमाशा बनाना है....

J
AIDEEP R.BHAGWAT


19- SUN CITY, MR- 2
MAHALAXMI NAGAR, INDORE (M.P)
08223907282,08370004121
EMAIL.... jrbhagwat@gmail.com, jaideeprbhagwat@rediffmail.com

REPUBLIC DAY...................................

ज़रा सोचिये ...................................................................................


२६ जनवरी हमारे देश में पिछले ६० वर्षों से गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता आ रहा है .. आज के दिन हमारे देश का संविधान बना था ..
लेकिन अब ऐसा लगता है जैसे यह सिर्फ एक "नेशनल होलीडे" बनकर रह गया है . आज तक न तो इसका रूप बदला है न ही किसी ने बदलने का प्रयास किया..दिल्ली के लाल किले में झंडा फहराना, परेड, राष्ट्रपति का भाषण, झांकियां, शहीदों और वीरों का सम्मान ये औपचारिकतायें अत्यधिक् ज़रूरी हैं इनका आदर..... करना हर देशवासी का कर्त्तव्य है.लेकिन इसके अलावा देश के विभिन्न राज्यों एवं शहरों में जो कार्यक्रम....होते हैं अगर हम उन पर नज़र डालें तो चिराग तले अँधेरा ही नज़र आता है..

सरकारी संस्थाओं में झंडा वंदन की औपचारिकता के बाद छोटा मोटा भाषण और लोग अपने घर चले जाते हैं यही आलम निजी संस्थानों का भी होता है.. शिक्षण संस्थानों में औपचारिकताओं के बाद किसी नेता या मंत्री का भाषण, सांस्कृतिक कार्यक्रम और उसके बाद बच्चे लड्डू लेकर घर लौट आते हैं.......राजनैतिक दल जगह- जगह लाउड स्पीकर्स लगाकर देशभक्ति के गीत बजाते हैं..... सारी देश भक्ति आज ही के दिन दिखाई देती है... ये देश भक्ति होती है या शक्ति प्रदर्शन समझ पाना मुश्किल है.. कुछ नेता- मंत्री महापुरुषों के पुतलों पर हार फूल चढ़ाकर सम्मान व्यक्त...... करतें हैं या सम्मानित महसूस करते हैं..

अब अगर आम जनता की बात करें तो उनके लिए यह एक छुट्टी से ज्यादा कुछ भी नहीं है .. ऐसे में कभी २६ जनवरी शनिवार या सोमवार को आ जाये तो सोने पे सुहागा ........ आज की पीढ़ी की भाषा में कहें तो वीकेंड अच्छा मनेगा.... पिकनिक स्थलों पर पैर रखने की भी जगह नहीं होती............ इस दिन कुछ तथा कथित लोगों का गला सूखता ही नहीं ..... बल्कि ड्राय डे की हड्डी भी गले में अटकी पड़ी रहती है...... कुल मिलाकर गणतंत्र दिवस का एहसास कम और छुट्टी का आलस ज्यादा होता है ........लोग अपने बच्चों के लिए सड़कों पर बिकने वाले झंडे खरीदते हैं...जो दुसरे दिन सड़कों पर इधर उधर उड़ते नज़र आते हैं.. इतने झंडे तो इमारतों और कार्यालयों में नहीं फहराए जाते जितने की दुसरे दिन सड़कों पर बेशर्मी से रौंदे जाते हैं इससे बड़ा तिरंगे का अपमान और क्या होगा....

हम कब तक इसी तरह गणतंत्र दिवस मनाते रहेंगे ........... जिन शहीदों और महापुरुषों की कुर्बानियों से हम इस आज़ाद वतन में सांस ले रहे हैं क्या यही तरीका है उन्हें याद करने का..... क्या टेलिविज़न चैनलों पर एक दिन देश भक्ति की फिल्म देख लेने से हम देश भक्त हो हो जाते हैं.... क्या एक मरणोपरांत मैडल द्वारा सम्मान ही उनकी शहादत का पुरस्कार है......... भगत सिंग, चन्द्रशेखर आज़ाद, सुखदेव, राजगुरु और उनके जैसे कई शहीदों के नाम आज गुमनामी के अंधेरो में गुम होते जा रहे हैं........... क्यों २६.११ में शहीद हुए एक जवान के पिता ने मुख्यमंत्री को अपशब्द कहकर घर से निकाल दिया..................... क्यों आज का अधिकांश युवा वर्ग डिफेन्स सर्विसेस में नहीं जाना चाहता..................... क्यों हम भूलते जा रहे हैं उन लोगों के योगदान को जो हमारे देश के आधारस्तंभ हैं........ यह एक गहन चिंतन का विषय है........................................................................................क्यों न हम इस २६ जनवरी से कुछ ऐसा करें...... शहीदों और उनके परिवार के लिए की उनके परिवार भी हम देशवासियों पर गर्व करें और .... अमर शहीदों की आत्माएं भी गर्व से कहें .................
कर चले हम फ़िदा जानोतन साथियों अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों..................... ज़रा सोचिये ............


J
AIDEEP R.BHAGWAT

ASST.ZONAL SALES MANAGER
AUTOCOP INDIA PVT.LTD, M- 47, NEW SIYAGANJ, PATTHAR GODAM ROAD, INDORE. M.P 07314224095.

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