Saturday, July 30, 2011

SADI KA MAHA GAYAK ( KISHORE KUMAR)

सदी का महा गायक ................... किशोर कुमार...
किसी ने सही कहा था, किशोर कुमार जैसे गायक सदियों में एक बार ही जन्म लेते हैं. आज किशोर दा हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनके नगमे दुनिया में आज भी उसी शिद्दत के साथ सुने जाते हैं. बिना किसी संगीत की विधिवत शिक्षा के उन्होंने गायकी को अपनाया और अपनी अनोखी आवाज़ से ५० और ६० के दशक के हताश युवा वर्ग में एक जोश और जूनून भर दिया. इस अश्व्घोशी आवाज़ के मालिक ने पूरे हिन्दुस्तान को अपनी आवाज़ का दीवाना बना दिया. जितने अच्छे वे अदाकार थे उतने ही महान वे गायक थे. उनकी यूडलिंग और गीत को सहजता से गाने की कला आज भी लोगों के दिलों को छूती है. शास्त्रीय संगीत हालाँकि उनकी शैली में शामिल नहीं था फिर भी शास्त्रीय धुनों पर आधारित गीतों को बखूबी निभाया जैसे महबूबा फिल्म का गीत " मेरे नैना सवानभादों "  ( राग शिवरंजनी ) आज भी लोगों के ज़हन में ताज़ा है, उनके रोमांटिक गीतों ने लोगों का दिल बहलाया, मस्ती भरे गीतों ने लोगों को खूब हंसाया और दर्द भरे गीतों ने लोगो रुलाया.
सन १९६९ की फिल्म "आराधना" का गीत " मेरे सपनो की रानी " किशोर दा की ज़िन्दगी का टर्निंग पॉइंट था यह समय था उस दशक  के उभरते संगीतकार आर. डी बर्मन का इन दोनों कलाकारों की जोड़ी ने ७० से लेकर ८० के दशक तक अनगिनत लोकप्रिय गीत दिए इन गीतों को हर उम्र के लोगों द्वारा पसंद किया गया. किशोर दा जब भी किसी गीत को गाते थे तो गाने से पहले उस गीत की हर बारीकी को समझते थे कि यह किस अभिनेता पर फिल्माया जा रहा है गीत की सिचुएशन क्या है, यह जान लेने के बाद वे अपनी आवाज़ में वे भाव पैदा करते थे जिससे कि गीत वास्तविक स्तिथि के अनुसार लगे, अभिनेता कि आवाज़ में अपनी आवाज़ को ढालने कि कला सिर्फ किशोर दा में ही थी. "हाफ टिकिट" फिल्म का गीत "आ के सीधी लगी जैसे दिल पे कटरिया" किशोर दा और प्राण साहब पर फिल्माया गया है इस गीत में किशोर दा ने खुद पर फिल्माया हुआ टुकड़ा लड़की कि आवाज़ में गाया है और प्राण साहब पर फिल्माया हुआ लड़के कि आवाज़ में. यह गीत सुनने के बाद प्राण साहब खुद बोले कि मुझे ऐसा लगा जैसे कि यह मेरी ही आवाज़ है. देव आनंद, संजीव कुमार, अमिताभ बच्चन, राजेश खन्ना, ऋषि कपूर ऐसे कई अभिनेता हैं जिनकी आवाज़ को किशोर दा ने बड़ी ख़ूबसूरती से निभाया. 
किशोर दा में अभिनय और गायकी के अलावा संगीत निर्देशन, गीतकार, निर्माता एवं निर्देशक की भी प्रतिभा थी. उनकी फिल्मे आज भी फिल्म इंडस्ट्री के इतिहास में अविस्मर्णीय है. अपने गाए लगभग २५०० से अधिक गीतों में सर्वाधिक लोकप्रिय गीतों का रिकॉर्ड सिर्फ किशोर दा का ही है. अपने जीवन के संगीत सफ़र में किशोर दा ने सभी मूड के गीत गाए जिसमे ग़ज़लें भी शामिल हैं जैसे फिल्म "दर्द का रिश्ता" का गीत " यूँ नींद से वो जाने चमन जाग उठी है " ने यह साबित कर दिया था की वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे.
किशोर कुमार जैसी शकसियत को भुला पाना किसी भी सदी में संभव नहीं होगा, जो गीतों का खजाना उन्होंने इस दुनिया को दिया है वो कभी ख़त्म नहीं हो सकता. उनका असली नाम 'आभास कुमार गांगुली' था और उनके गीतों द्वारा उनके सभी चाहने वालों को उनका "आभास" हमेशा होता रहेगा. अपनी मृत्यु के पहले उन्होंने एक बार लीना जी को कहा था " देखना एक दिन लोग मुझे पुकारते रहेंगा और मै लौट कर नहीं आऊंगा ". लेकिन महागायक मरा नहीं करते उनकी आवाज़ सदियों तक लोगों के दिलों में सफ़र करती रहती है और कहती रहती है " राहों पे रहते हैं यादों में बसर करते हैं .....खुश रहो अहले वतन हम तो सफ़र करते हैं ".