Thursday, December 30, 2010

BHIKARI

                                                भिखारी की पैरोडी
बात करीब दस या बारह साल पुरानी होगी उन दिनों यशराज बेनर की फिल्म मोहब्बतें रिलीज़ हुई थी और उस फिल्म का एक गाना बड़ा सुपर हिट हुआ था " दुनिया में किंतनी हैं नफरतें फिर भी दिलों में है मोहब्बतें ". मै किसी काम से टेलीग्राफ ऑफिस गया था सम्बंधित व्यक्ति सीट पर ना होने की वजह से मै कुछ देर इंतजार करने बाहर आकर खड़ा हो गया पास मै एक छोटा सा गलियारा था जहाँ एक अधेड़ भिखारन अपने दूध मुहे बच्चे को सुला रही थी उसका एक और साल भर का बच्चा रो रहा था और करीब पाँच साल का एक और बच्चा उस रोते हुए बच्चे को गाना गा कर चुप कराने  और बहलाने की कोशिश कर रहा था, गाना कुछ इस तरह था " दुनिया मै कितने हैं दहीबड़े फिर भी दिलों मै है आलूबड़े मर भी जाये कचोरी वाला मर भी जाये समोसे वाला जिंदा रहती है फिर भी उनकी होटलें". मै अपनी हंसी को रोक ना सका क्योंकि मेरे और मेरे अलावा आस पास खड़े लोगो के लिए वह एक हास्यात्मक पैरोडी से ज्यादा कुछ भी नहीं था पर अगर उस बच्चे की भावनाओं पर गौर करें तो शायद वो एक स्वाद था जो उसने कभी  चखा नहीं था  या उन कचोरी समोसे बनाने वाले होटल वालों के प्रति उसकी खीज थी जिन्होंने उसके मांगने पर भिखारी होने की वजह से उसे भगा दिया होगा.

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JAIDEEP R.BHAGWAT

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