Thursday, December 30, 2010

P.CHIDAMBARAM

माननीय श्री पी.चिदंबरम जी की टिपण्णी दिल्ली में हो रहे बलात्कार और अपराध के विरुद्ध एक विशेष वर्ग की और थी जो रोज़ी रोटी की तलाश में दिल्ली आ रहे हैं, लेकिन गौरतलब यह है की अपराध का कोई वर्ग नहीं होता है यह कहीं भी कभी भी हो सकता है इसके लिए किसी वर्ग विशेष पर उंगली उठाना उसके आत्मा सम्मान को ठेस पहुचाने  जैसा है.हम एक प्रजातान्त्रिक देश के नागरिक हैं जहाँ सभी को समान अधिकार प्राप्त हैं  कोई भी कही भी जाकर रोज़गार तलाश कर सकता है और अपना जीवन यापन कर सकता है. दिल्ली में हो रहे बलात्कार के लिए उच्च वर्ग एवं बिगडैल युवा वर्ग भी ज़िम्मेदार है जो राह चलते ऐसी घटनाओ को अंजाम देते हैं.
जिस वर्ग की और श्री चिदम्बरम ने इशारा किया है वह वर्ग अपराध के उद्देश्य से शहर में नहीं आता वे मजदूरी,हम्माली,साफसफाई जैसे काम की तलाश में आते हैं और यह भी सत्य है की अगर यह वर्ग ना रहे तो ये सारे काम करेगा कौन क्या आपने कभी उच्च वर्ग के व्यक्ति को गटर साफ़ करते देखा है ? इस वर्ग की आवश्यकता हमारे समाज में पहले भी थी और भविष्य में भी रहेगी.हमारा समाज भी इकोसिस्टम के पिरामिड की तरह है.
देश में जिस तेजी से जनसँख्या बढ़ रही है उतनी ही तेजी से गरीबी और बेरोज़गारी पैर पसार रही है लेकिन शिक्षा और जागरूकता की गति आज भी धीमी है. राज नेताओं को ऐसी टिपण्णी करने से पहले इस वर्ग को जागरूक एवं शिक्षित करने की पहल करनी चाहिए उन्हें रोज़गार के अवसर प्रदान करने चाहिए यह वर्ग भी हमारे समाज का हिस्सा है किसी पडोसी देश से घुसे हुए घुस्पेठिये नहीं हैं. श्री चिदम्बरम देश के गृह मंत्री होने के साथ साथ एक सुशिक्षित एवं बुद्धिजीवी वर्ग के व्यक्ति भी हैं राजनैतिक दबाव में ज़रूर उन्होंने अपना बयान वापस लेकर माफ़ी का मरहम लगा दिया हो पर जुबान से निकले हुए शब्द और कमान से निकला हुआ तीर अपनी मार तो छोड़ ही जाता है. ऐसी टिप्पणिया देश एवं समाज के लिए एक प्रश्नवाचक चिन्ह है.


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JAIDEEP R.BHAGWAT

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