आम होता जाम
हमारे शहर मै ट्राफिक जाम अब आम हो चूका है, इसका कारण बदहाल और बेतरतीब तरीके से खुदी सड़कें, बी आर टी एस के काम की धीमी रफ़्तार तो है ही साथ ही हमारे ट्राफिक डिपार्टमेंट का रुख भी थोडा ठंडा है, यह जाम अब हमारी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी का हिस्सा बन चूका है. प्रशासन तो अपना काम अपनी रफ़्तार से कर ही रहा है इसके लिए प्रशासन को पूरी तरह से दोष देना मुनासिब नहीं होगा क्यों की इसके लिए काफी हद तक जनता भी ज़िम्मेदार है.
आयिए नज़र डालते हैं हमारे शहर के ट्राफिक पर, इंदौर से महू और देवास जाने वाली नीली बसों का आलम और रफ़्तार देख कर तो लगता है जैसे होलकर महाराजा शहर की सड़कें उन्हें जागीर मै दे कर गए हों कि जाओ अब सड़कों पर सिर्फ तुम्हारा ही राज होगा. नगर सेवा बस जनता की इतनी सेवा करतीं हैं की जहाँ हाथ दीजिये वहीँ रुक जाएगी बी आर टी सी बसें सड़कों पर ऐसे चलती हैं जैसे हाथी चले बाज़ार कुत्ते भोंके हज़ार, टेक्सी और ऑटो वालों का आलम ऐसा है जैसे किसी प्रतिस्पर्धा मै दौड़ रहे हों, यह तो बात हुई साहब पब्लिक ट्रांसपोर्ट की आयिए अब देखतें हैं आम जनता का क्या आलम है.
साइकिल सवार अपनी धुन में चलते हैं मोटर साइकिल सवार युवा जूनून में चलते हैं वाहन चलाते समय मोबाइल पर बात करना जुर्म है पर यह आम बात है अगर किसी वाहन चालक को चलते वाहन पर बात करते समय आपने टोक दिया तो वह गालीओं का शब्द कोष आप पर खाली कर देगा चार पहिया वाहन चालक को लो बीम पर चलना तो आता ही नहीं शहर मै भी हाई बीम पर लाइट जलाकर चलते हैं जैसे हाई वे पर चल रहे हों उन्हें इस बात का एहसास ही नहीं होता की सामने वाले वाहन चालक को कितनी परेशानी हो रही है. लेन सिस्टम को समझना और सही दिशा से ओवेरटेक करना शायद किसी ने सिखाया ही नहीं या हमने सीखने की कोशिश भी नहीं करी. बारात और जुलूस प्रजा तंत्र का फायदा उठाते हुए देखे जा सकते हैं ऐसी स्थिति में अगर जाम लग जाये तो समझदारी से लेन को फालो करने की बजाए लोग बीच में घुस कर और जाम को बढ़ा देते हैं और घंटो तक ट्राफिक बाधित हो जाता है लोगों की ट्रेन, फ्लाईट और बसें छूट जाती हैं कई लोग अस्पताल में पहुचने से पहले ही अम्बुलेंस में दम तोड़ देते हैं कोई एक्स्ज़ाम में समय पर नहीं पहुच पता तो कोई ऑफिस में लेट हो जाता है कहने का मतलब यह है की सभी को परेशानी होती है. और हम कोसना चालू करतें हैं प्रशासन को.
सवाल यह है की क्या इसके लिए पुर्णतः प्रशासन ज़िम्मेदार है या जनता भी. अगर हर नागरिक थोड़ी समझदारी से काम ले तो प्रशासन भी अपना काम आसानी से कर पायेगा. प्रशासन से अनुरोध है कि थोड़ी सख्ती वे भी बरतें.
सोचना हमे है कि इस रोजाना हो रहे जाम को नाकाम करने कि पहल करनी है या फिर आम होते जाम का लुत्फ़ उठाना है.
आयिए नज़र डालते हैं हमारे शहर के ट्राफिक पर, इंदौर से महू और देवास जाने वाली नीली बसों का आलम और रफ़्तार देख कर तो लगता है जैसे होलकर महाराजा शहर की सड़कें उन्हें जागीर मै दे कर गए हों कि जाओ अब सड़कों पर सिर्फ तुम्हारा ही राज होगा. नगर सेवा बस जनता की इतनी सेवा करतीं हैं की जहाँ हाथ दीजिये वहीँ रुक जाएगी बी आर टी सी बसें सड़कों पर ऐसे चलती हैं जैसे हाथी चले बाज़ार कुत्ते भोंके हज़ार, टेक्सी और ऑटो वालों का आलम ऐसा है जैसे किसी प्रतिस्पर्धा मै दौड़ रहे हों, यह तो बात हुई साहब पब्लिक ट्रांसपोर्ट की आयिए अब देखतें हैं आम जनता का क्या आलम है.
साइकिल सवार अपनी धुन में चलते हैं मोटर साइकिल सवार युवा जूनून में चलते हैं वाहन चलाते समय मोबाइल पर बात करना जुर्म है पर यह आम बात है अगर किसी वाहन चालक को चलते वाहन पर बात करते समय आपने टोक दिया तो वह गालीओं का शब्द कोष आप पर खाली कर देगा चार पहिया वाहन चालक को लो बीम पर चलना तो आता ही नहीं शहर मै भी हाई बीम पर लाइट जलाकर चलते हैं जैसे हाई वे पर चल रहे हों उन्हें इस बात का एहसास ही नहीं होता की सामने वाले वाहन चालक को कितनी परेशानी हो रही है. लेन सिस्टम को समझना और सही दिशा से ओवेरटेक करना शायद किसी ने सिखाया ही नहीं या हमने सीखने की कोशिश भी नहीं करी. बारात और जुलूस प्रजा तंत्र का फायदा उठाते हुए देखे जा सकते हैं ऐसी स्थिति में अगर जाम लग जाये तो समझदारी से लेन को फालो करने की बजाए लोग बीच में घुस कर और जाम को बढ़ा देते हैं और घंटो तक ट्राफिक बाधित हो जाता है लोगों की ट्रेन, फ्लाईट और बसें छूट जाती हैं कई लोग अस्पताल में पहुचने से पहले ही अम्बुलेंस में दम तोड़ देते हैं कोई एक्स्ज़ाम में समय पर नहीं पहुच पता तो कोई ऑफिस में लेट हो जाता है कहने का मतलब यह है की सभी को परेशानी होती है. और हम कोसना चालू करतें हैं प्रशासन को.
सवाल यह है की क्या इसके लिए पुर्णतः प्रशासन ज़िम्मेदार है या जनता भी. अगर हर नागरिक थोड़ी समझदारी से काम ले तो प्रशासन भी अपना काम आसानी से कर पायेगा. प्रशासन से अनुरोध है कि थोड़ी सख्ती वे भी बरतें.
सोचना हमे है कि इस रोजाना हो रहे जाम को नाकाम करने कि पहल करनी है या फिर आम होते जाम का लुत्फ़ उठाना है.
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JAIDEEP R.BHAGWAT
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