पंचम
पंचम आज इस दुनिया में नहीं हैं पर उनका नाम एक सोच एक विचारधारा बन चूका है, पंचम कि धुनें संगीत के आकाश में अनंत काल तक गूंजती रहेगी. " छोटे नवाब " से लेकर " १९४२ ए लव स्टोरी " तक का पंचम का संगीत सफ़र भुलाया नहीं जा सकता. ऐसा फनकार शायद ही इस धरती पर दोबारा जन्म ले. ७० के दशक में पंचम ने संगीत के छेत्र में जो अविष्कार किये वो अपने आप में एक कारनामा है जैसे खोखले बांस, बोतल, कांच के गिलास, झाड़ू और गले में पानी भरकर धुन निकालना किसी अजूबे से कम नहीं था. पाश्चात्य वाद्यों के साथ लोक संगीत का समावेश उनकी शैली में शामिल था, ७० के दशक के युवा वर्ग में पंचम के संगीत ने नया जोश और जूनून भर दिया था. संगीतकार होने के साथ साथ वे एक महान गायक भी थे उनकी अनोखी आवाज़ में गए गीत आज भी लोगों कि जुबान पर हैं.
पंचम के सबसे करीबी दोस्त गुलज़ार साहब के कहे शब्दों से उनके रिश्ते की गहराई का अंदाजा लगाया जा सकता है, उन्होंने कहा था पंचम जब भी तुम कोई अच्छी धुन बनाते थे तो मुझे कहते थे
NOW THE BALL IS IN YOUR COURT. ये कौन सी गेंद तुम मेरे कोर्ट में डाल कर चले गए ज़िन्दगी का यह खेल अकेले नहीं खेल सकता हमारी तो एक टीम थी या तो आ जाओ या बुला लो. गुलज़ार साहब के शब्दों में पंचम के गुज़र जाने का दुःख साफ़ दिखाई देता है.
पंचम की अंतिम यात्रा के दौरान हुए एक साक्षात्कार में आशा जी ने कहा था मेरे लिए मेरा पति चला गया मेरा दोस्त चला गया दुनिया एक दिन सबकुछ भूल जाएगी पर मेरे लिए भूल पाना संभव नहीं है.
पंचम का गुज़र जाना वाकई संगीत की दुनिया पर एक बहुत बड़ा आघात था, ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो संगीत का एक दौर ख़त्म हो गया पर आज भी पंचम का संगीत उसी उत्साह के साथ सुना जाता है और आज का युवा वर्ग भी उसे पसंद करता है. पंचम दा आशा जी से कहते थे मै इस दुनिया को आने वाले बीस साल बाद का संगीत देकर जाऊंगा, और वाकई वो अपने चाहने वालों को अपना संगीत देकर इस दुनिया से चले गए. उनके जाने का दुःख उनके करीबी और सभी चाहने वालों को है.
मै उनके सभी चाहने वालों से कहना चाहता हूँ ये ना सोचना सिर्फ रोती हैं तुम्हारी आँखे, और भी रोती हैं आँखे मगर चुपके चुपके.
JAIDEEP R.BHAGWAT