Wednesday, October 21, 2015

कहता था मुझसे शिद्दत से ढूंढ, खुदा मिल जाएगा,
मुद्दत हो गई ढूंढते - ढूंढते, यहाँ तो इंसान का भी नामोनिशां नहीं 

Monday, October 19, 2015

कोई तो बताए

दहशतगर्दों से तो फिर भी मेहफूज़ हूँ अब तक,
कोई तो बताए, इन फ़ितरतगर्दों का क्या करूँ ।

जयदीप - एक सोच यह भी

Saturday, July 13, 2013

RUPAHLA PARDA HUA NISHPRAN..

प्राण ............. ( रुपहला पर्दा हुआ निष्प्राण )

बतौर फोटोग्राफर अपनी ज़िन्दगी की शुरुआत करने वाला ये अदाकार हिंदी सिनेमा में खलनायक की परिभाषा बदल देगा ये शायद किसी ने सोचा भी नहीं था . उनके फ़िल्मी सफ़र की शुरुआत अभिनेता के रूप में हुई थी लेकिन अभिनेता की अदाकारी से वे खुश नहीं थे शुरुआती दौर में उन्होंने राम लीला में सीता की भूमिका अदा की, लाहौर में पंजाबी फिल्मो में काम किया और फिर रुख किया मुंबई और १९४८ में " ज़िद्दी " में बतौर खलनायक अभिनय किया . वो उनके संघर्ष का दौर था उस समय के स्थापित खलनायको के बीच अपने आप को साबित करना उनके लिए किसी चुनौती से कम नहीं था ...लेकिन उन्होंने अपनी अभिनय क्षमता, तीखे नैन नक्श, बुलंद आवाज़ और विशेष संवाद अदायगी से सभी को अपने अभिनय का लोहा मनवाया . 

दोस्तों ... दुनिया में चंद लोग ही होते हैं जो अपने नाम को सार्थक कर पाते हैं उनमे से एक प्राण साहब भी थे ... अपने निभाए हुए हर किरदार में वे 'प्राण' फूंक देते थे जैसे जिस देश में गंगा बहती है का डाकू, ज़जीर का पठान, पुकार का मलंग चाचा या फिर हाफ टिकिट का स्मगलर ... उनकी हर भूमिका एक नए अंदाज़ और नए वेश के साथ होती थी . उन्होंने उस दौर के हर स्थापित अभिनेता के साथ काम किया और खलनायक के रूप में अपनी एक विशेष पहचान बनाई ..... फिल्मो में अभिनेता के साथ साथ उनकी अदाकारी को भी उतनी ही प्रशंसा मिली जितनी बतौर हीरो किसी अदाकार को मिलती है . हर अभिनेता और निर्देशक उन्हें अपनी फिल्म में खलनायक के रूप में लेने को तत्पर रहते थे उनके लिए विशेष भूमिकाएं गढ़ी जाती थी ... उनके चेहरे का गुरूर, आँखों का रुबाब और वज़नदार आवाज़ ही काफी होती थी दर्शकों में खौफ पैदा करने के लिए .... उनके परदे पर आते ही बच्चे अपने माँ बाप की गोद में दुबक जाया करते थे ....... तत्कालीन समय में लोगों ने अपने बच्चों का नाम प्राण रखना बंद कर दिया था .....
खलनायक के जितने रूप प्राण साहब ने अदा किये हैं शायद ही किसी और कलाकार ने अदा किये होंगे ........ अनुशासित और समय के पाबंद प्राण साहब ने हर दिल पर राज किया है ... बतौर इंसान वे बड़े दरिया दिल, नेक और यारबाज़ थे .... भूमिका और किरदार के प्रति उनका समर्पण काबिले तारीफ है . वे चाहते तो अपनी अभिनय क्षमता से बतौर अभिनेता बन सकते थे लेकिन उन्होंने खलनायकी को ही चुना और दुनिया को दिखा दिया की महानायक के साथ साथ महाखलनायक भी हो सकता है . 

बदलते समय के साथ साथ उन्होंने अपने आप को खलनायकी तक ही सिमित नहीं रखा .... उन्होंने आने वाले दौर के खलनायकों को प्रेरणा दी और मौका भी दिया और चरित्र अभिनेता के रूप में अपने आप को ढाल लिया ..... जिसमे हास्य भूमिकाएं भी शामिल थी ..... इन सभी भूमिकाओं में भी प्राण साहब ने वही जादूगरी दिखाई जो खलनायकी में थी जैसे .. कालिया, क़र्ज़, शराबी, डॉन, नसीब इत्यादि .. हर किरदार में अपने आप को ढालने का हुनर किसी अजूबे से कम नहीं था .......... उन्होंने अपनी पूरी ज़िन्दगी जिंदादिली और शान से गुजारी।।

आज रुपहले परदे का ये महान अदाकार हमारे बीच नहीं है ...... बरखुरदार कहने वाला शख्स हमें अलविदा कह गया .... लेकिन प्राण साहब को भुला पाना संभव नहीं है ऐसे महान खलनायक सदियों में ही जन्म लेते हैं ......... उनके जाने से रुपहला पर्दा निष्प्राण हो गया .....


जयदीप भागवत ..



Thursday, May 23, 2013

AAKHIR KYA HAI AISA IN GEETON ME...

आखिर ऐसा क्या हैं इन गीतों में .......

अगर हम आज के दौर के फ़िल्मी संगीत पर गौर करें तो पाएंगे कि हिंदी फिल्मों में पंजाबी गीतों का चलन काफी हद तक बढ़ गया है, या हम यूँ कह लें की पंजाबी गीत संगीत और संस्कृति हिंदी फिल्मो पर हावी होती जा रही है अगर ये गीत और संगीत मूल रूप से प्रस्तुत हो तो भी जायज़ है पर रिमिक्स और वेस्टर्न धुनों एवं वाद्यों पर पंजाबी बोल कर्णप्रिय नहीं लगते। लगभग ८० % फिल्मों में पंजाबी गीतों का समावेश होता है। यहाँ विरोध किसी भाषा या संस्कृति विशेष के प्रति नहीं है ........ क्या दूसरी प्रादेशिक भाषाएँ कर्णप्रिय नहीं हैं ?

अगर हम थोडा फ़्लैश बेक में जाएँ ....... करीब ५० से ८०  के दशक में तब भी प्रादेशिक पृष्ठभूमि और संस्कृति को ध्यान में रखकर गीत बनाये गए हैं जो कहानी, माहौल और उस सीन को ध्यान में रख कर गढ़े जाते थे जैसे " ऐ मेरी ज़ोहरा ज़बीं में पंजाब की संस्कृति को ध्यान में रख कर धुन बनाई गई है और हिंदी और उर्दू अल्फाजों का समावेश किया गया है ठीक उसी प्रकार आर . डी  बर्मन ने भी अपनी कई धुनों में प्रादेशिक संगीत को ध्यान में रख कर सैकड़ों बेहतरीन गीत दिए हैं, ये उस दौर के गीतकारों की जादूगरी थी जो धुन के अनुसार बोल लिखते थे और ऐसे गीतों को जन्म देते थे जो आज तक अविस्मर्णीय  हैं जैसे गोअन संस्कृति, बंजारा और पहाड़ी संस्कृति उस दौर में प्राचीन शास्त्रीय संगीत और राग को भी ध्यान में रख कर कई मधुर गीत रचे गए। 

शैलेन्द्र,नीरज,जानिसार अख्तर,मजरूह सुल्तानपुरी, गुलशन बावरा, इन्दीवर इत्यादि के गीतों का योगदान भुलाया नहीं जा सकता और जिस बखूबी से मदन मोहन, शंकर जयकिशन, एस . डी बर्मन, आर .डी  बर्मन, कल्याण जी आनंद जी,लक्ष्मी कान्त प्यारेलाल, राजेश रोशन जैसे संगीतकारों ने इन बोलो को धुनों में ढाला  है और हमारे गायक और गायिकाओं के उसे निभाया है वो आज भी काबिले तारीफ है। हिंदुस्तानी गीत और संगीत को आसमान की ऊँचाइयों तक पहुँचाने वाले ये कलाकार हिंदी फिल्म संगीत के आधार स्तम्भ हैं। ये सभी कलाकार विभिन्न प्रदेशों से थे इनके लिए भाषा कभी भी अवरोध नहीं बनी।

अगर हम ओ . पी नैय्यर का उदहारण लें तो उनके द्वारा ही हिंदी फ़िल्मी संगीत में पंजाबी संगीत को पहचान मिली उनकी अमूमन धुनें पंजाबी ठेके पर ही आधारित थी लेकिन फिर भी शब्दों का चयन हिंदी में ही था और ५० से ६० के दशक में हिंदी संगीत के इतिहास में नए दौर की शुरुआत थी उसी प्रकार एस . डी  बर्मन का संगीत बंगाल की मिठास घोलता था और ७० के दशक में आर . डी बर्मन के देश की सीमायें लाँघ कर पाश्चात्य वाद्यों के उपयोग से हिंदी फ़िल्मी संगीत को एक नया आयाम दिया जो आज भी बरकरार है .......... इस में एक बात ज़रूर गौरतलब है की सभी संगीतकार्रों और गीतकारों ने कभी भी हिंदी बोलों और भाषा के साथ छेड़ - छाड  नहीं करी जिससे की गीतों की गरिमा आज भी बनी हुई है।

अगर आपसे पुछा जाये " नैन लड़ जैहें तो मनवा माँ कसक होइबे करी " गीत किस फिल्म से है, किसने गया है, किसने लिखा है और संगीत किसका है तो  शायद आप दिमाग पर जोर डालकर आप बता देंगे की फिल्म का नाम गंगा जमुना, गायक मोहम्मद रफ़ी,गीतकार शकील बदायुनी और संगीत कर नौशाद हैं।। इस गीत में उत्तरप्रदेश की पृष्ठ भूमि और खड़ी बोली का बखूबी इस्तेमाल किया गया है ..पर अगर आपसे यह पुछा जाये की " जी करदा वै जी करदा " तो दिमाग  पर काफी जोर डालने के बाद ज्यादा से ज्यादा  आप फिल्म का नाम बता पाएंगे और आज की युवा पीढी तुरंत गूगल पर उंगलियाँ दौड़ा देगी इस गीत के संगीतकार और गीतकार और गायक की तलाश करने के लिए  ............ ये गीत तूफ़ान की तरह आते तो हैं और तहलका भी मचाते हैं पर पीछे से आने वाले और तूफानी गीतों के बहाव में कहाँ बह जाते हैं पता भी नहीं चलता ............ क्या आज के हमारे गीतकारों और संगीतकारों की कल्पना शक्ति इतनी कमज़ोर हो गई है जो पाश्चात्य धुनों में पंजाबी बोलों का तड़का मार कर कान फोडू गीत एक व्यंजन की तरह पेश कर रहे हैं जो युवा पीढी को भी सिर्फ कुछ दिनों तक ही आकर्षित कर पाते है ........... संगीत कोई थाली में परोसे जाने वाला व्यंजन तो नहीं है ये तो एक एहसास है जो इंसान को आत्मा से जोड़ता है .....मन को सुकून देता है ....

पंजाब की संस्कृति एवं संगीत को जिस प्रकार से गुलज़ार साहब में माचिस फिल्म में पेश किया है ..... उसमे पंजाब की मिट्टी की सौंधी सौंधी खुशबू आती है ठीक उसी प्रकार यश चोपड़ा की फिल्म दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे में पंजाब के संगीत की ताजगी, उत्साह और संस्कार झलकते हैं .... संगीत किसी भाषा, संस्कृति या देश का गुलाम नहीं है ... इसकी न तो कोई सरहदें हैं ये तो वो बयार है जो आपके दिल को कहीं से भी छूकर सुकून ही देती है ................ कहीं ऐसा न हो की हमारी  आज की और आने वाली पीढी हिंदुस्तानी संगीत को भूल जाये ... और पूरी दुनिया में नाम करने वाला हमारा हिंदुस्तानी संगीत रिमिक्स, पाश्चात्य पद्धति संगीत गायन शैली और धूम धड़ाके वाले स्तरहीन गीतों के शोर में कहीं गुम हो जाये .....

आखिर क्या है ऐसा इन गीतों में ..............ज़रा सोचिये… 

जयदीप भागवत ....

jrbhagwat@gmail.com
09755591736..08223907282.




 

Tuesday, September 11, 2012

POWER OF PERSONALITY



INTRODUCTION - 


FIRST OF ALL I WOULD LIKE TO THANK ...................... FOR GIVING ME THE OPPORTUNITY TO CONDUCT PERSONALITY DEVELOPMENT PROGRAM IN THEIR ........................

NOW I WOULD LIKE TO EXPLAIN YOU ABOUT PERSONALITY DEVELOPMENT MODULE. DEAR FRIENDS ITS A VERY SIMPLE AND PRACTICAL MODULE BY ADOPTING IT IN YOUR DAY TO DAY LIFE YOU CAN BECOME THE OWNER OF GOOD PERSONALITY, BUT FOR THAT I NEED YOUR FULL SUPPORT AND COOPERATION IN TERMS OF SINCERITY, HONESTY AND DISCIPLINE, BECAUSE THIS IS GOING TO CHANGE YOUR LIFE AND YOU CAN DIFFERENTIATE YOURSELF FROM OTHERS.

SO ARE YOU READY !

BECAUSE I DO NOT WANT TO SELECT DIAMONDS AMONG YOU. I WANT TO MAKE ALL OF YOU  DIAMONDS.

HAVE YOU EVER THANKED YOUR LIFE ?

FOLLOWED BY SONGS.

FEEDBACK.

HOW MANY OF YOU PEOPLE THINK THAT THEY ARE OWNER OF A GOOD PERSONALITY  ?

HOW MANY OF YOU PEOPLE THINK THAT THEY ARE OWNER OF A BAD PERSONALITY  ?

HOW MANY TIMES YOU HAVE BEEN APPRECIATED IN YOUR LIFE BY SOME AND DEMOTIVATED BY OTHERS ?

WHAT WAS YOUR REACTION ON HIGHEST MOTIVATION AND DE MOTIVATION ?

WHAT IS PERSONALITY ?


ज़िन्दगी में हर इंसान हमेशा एक अच्छे व्यक्तित्व की कल्पना करता है, ख्वाब देखता है और अपनी कमजोरियों को दूर करने के लिए विभिन्न प्रकार के साधनों का उपयोग करता है, जैसे अगर कोई दुबला है तो मोटा होने का प्रयास करेगा कोई सामान्य रंग रूप का है तो आकर्षक दिखने का प्रयास करेगा कोई स्थूल शरीर का है तो दुबला होने का प्रयास करेगा कुल मिला कर हम आकर्षक दिखने का प्रयास करते हैं। हम व्यक्तित्व को सँवारने के लिए जिन साधनों का प्रयोग करते हैं वे साधन व्यक्तित्व विकास में सहायक तो हो सकते हैं लेकिन सम्पूर्ण नहीं , एक अधुरापन हमारे समक्ष हमेशा  रहता है।

दुनिया का हर इंसान किसी न किसी व्यक्ति से प्रभावित रहता है उसे अपना आदर्श मानता है और उसका अनुसरण करने की कोशिश करता है चाहे वो हमारे माता पिता हों, कोई फिल्म स्टार हो कोई नेता हो या कोई इंडस्ट्रियलिस्ट हो। इनकी ज़िन्दगी हमें प्रभावित करती है और हम इन्हें अपना आदर्श मानते हैं, यह सही है और ऐसा होना भी चाहिए लेकिन अगर हम इसकी वास्तविकता में जाएँ तो हम पाएंगे की हम चाह कर भी हुबहू उनके जैसे बन नहीं सकते बन नहीं सकते, लेकिन अगर हमारी दिशा सही है और इरादा पक्का है तो उनसे बेहतर ज़रूर बन सकते हैं।
एक साइकोलोजिकल सर्वे के अनुसार 5 वर्ष की उम्र के पश्चात व्यक्तित्व विकास की दिशा तय हो जाती है और यह उम्र के हर पड़ाव पर परिवर्तित होती रहती है और जीवन के अंत तक परिवर्तनशील रहती है। क्योंकि भूतकाल आपका अनुभव बढाता है, वर्त्तमान आपका ज्ञान बढाता है और भविष्य आपकी कल्पना शक्ति को विकसित करता है। 

व्यक्तित्व विकास कोई रुकी हुई या ठहरी हुई वस्तु नहीं है, न ही ये कोई कोर्स या कला है जिसे सीखकर आप निपुण हो जायेंगे। व्यक्तित्व आप स्वयं हैं। यह ऐसी गीली मिटटी है जिसे आप जैसा रूप देना चाहेंगे वैसा ही रूप निकल कर आएगा। यह एक निरंतर प्रक्रिया है जो चलती रहती है।

FOLLOWED BY SOME EXAMPLES.

AMITABH BACCHAN, MAHATMA GANDHI, RATAN TATA.


NEVER COMPARE YOUR SELF WITH ANY BODY IN YOUR LIFE.

आइये अब समझते हैं वास्तविकता में व्यक्तित्व क्या है ..

PERSONALITY - पर्सनालिटी शब्द की उत्पत्ति ग्रीक शब्द परसोना से हुई है, परसोना का मतलब होता है मुखोटा अंग्रेज़ी में कहें तो मास्क। जो की सामाजिक, व्यावसायिक और निजी ज़िन्दगी में हमेशा आपके साथ रहता है, यह समावेश है आपके सम्पूर्ण गुणों एवं अवगुणों का आपकी जीवन शैली का और आपके व्यवहार का।

आइये अब देखते हैं इसकी परिभाषा क्या है ..

कई शोधकर्ताओं और बुद्धजीवियों द्वारा पर्सनालिटी को विभिन्न रूपों में परिभाषित  किया गया है लेकिन व्यक्ति दर व्यक्ति इसका अवलोकन किया जाये तो परिभाषा हर बार अलग होगी इसलिए इसकी परिभाषा का कोई स्थापित नीयम नहीं है।

कई लोगों की यह गलत धारणा होती है कि शारीरिक रूप और बाह्य गुणों से किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व का तौलते हैं, उनके विचार से व्यक्ति की कद काठी और रंग रूप ही एक अच्छे व्यक्तित्व का मानदंड है तो मेरा उन महानुभावों से अनुरोध है पुनर्विचार करने का। यह सत्य है की शारीरिक रूप एक अच्छे व्यक्तित्व का उदाहरण है पर इसके कई पहलु हमारी शक्ति और नियंत्रण से परे हैं।शरीर और रंग रूप ईश्वर की देन है  इन बातों को सोच कर हमारा समय और उर्जा व्यर्थ करना बेकार है। इसके अलावा कई अन्य पहलु भी हैं जिनका अहम् योगदान किसी के व्यक्तित्व के लिए होता है

EXAMPLES - 

COLLEGE BOY.
SOLDIER AND BEAUTIFUL LADY.

आज व्यक्तित्व किसी व्यक्ति की ब्रांड छवि को मन जाता है, सरल शब्दों में इसे तीन पहलुओं में बाँटा गया है।
1. चरित्र 
2. व्यव्हार 
3. दृष्टिकोण या रवैय्या 

 EXAMPLES - 

SACHIN TENDULKAR, APJ ABDUL KALAM, OSAMA BIN LADEN.


PERSONALITY CAN BE ONLY OF TWO TYPES EITHER POSITIVE OR NEGATIVE.

EVERY PERSON HAS HIS OWN PERSONALITY YOU JUST HAVE TO KNOW THE POSITIVE PART OF THAT. 


आकर्षक व्यक्तिव क्या है ?

P.P.T SLIDE.

असल में व्यक्ति विकास आपके व्यव्हार, संचार कौशल, पारस्परिक सम्बन्ध, जीवन और नैतिकता के प्रति दृष्टिकोण में सुधार है। चरित्र व्यक्ति के व्यक्तित्व में बुनयादी कारक माना जाताहै। कई मनोवैज्ञानिको का कहना है कि अकेले चरित्र और व्यहार में सुधार काफी हद तक किसी के व्यक्तित्व को प्रभावित करता है। यह एक तथ्य है एक शक्तिशाली व्यक्तित्व के पीछे सभी कारक बेकार हो जाते हैं अगर उस व्यक्ति में अच्छे चरित्र और व्यवहार का अभाव है।

अच्छा व्यवहार और सहयोग किसी भी इंसान को लोकप्रिय बनाता है, जिससे उसके प्रगति और सफलता की सम्भावना निर्धारित होती है। व्यक्तित्व की सम्पूर्णता के बारे में अलग - अलग व्यक्तियों  की अलग - अलग राय है। कई वैज्ञानिक दृष्टिकोणों के आधार  पर उन्होंने चरित्र को व्यक्तित्व का हिस्सा नहीं माना  है, लेकिन सदाबाहर महान लेखकों में से एक स्टीवन कोवे जो की एक महान मोटिवेटर भी हैं उनका कहना है " सबसे अच्छा व्यक्तित्व चरित्र की ठोस बुनियाद पर आधारित होना चाहिए "।

व्यक्तित्व एक इमारत की तरह है, सिर्फ एक इमारत !
एक इमारत तभी बनी रह सकती है अगर उसकी नीव मजबूत है। एक व्यक्तित्व दूसरों को तभी प्रभावित कर सकता है अगर उसका आधार दुर्जेय है, और व्यक्तित्व की नीव तभी मजबूत होगी जब उसका निर्माण अच्छे चरित्र और व्यवहार से होगा। यदि व्यक्तित्व मूल्यों और नैतिकता पर आधारित है तो हमेशा याद रहेगा, नकली मुस्कान और व्यहार कम अवधी के लिए तो किसी को प्रभावित कर सकते हैं लेकिन सम्पूर्ण व्यक्तित्व सुधार में मदद नहीं कर सकते।

व्यक्तित्व में सुधार करने के लिए सबसे ज़रूरी है एक इच्छा और दृढ संकल्प।
अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए दिशा की पहचान।
जीवन में तीनो पहलुओं का समावेश कर लक्ष्य प्राप्ति के लिए अपने आप को समर्पित करना।
हर इंसान एक अद्वितीय प्राणी है।
विभिन्न आम घटकों के अलावा हर व्यक्ति को अपनी विशेषताओं को विकसित करना चाहिए।

याद रखें अगर किसी सफल व्यक्ति के अंधभक्त होकर आप उसकी दिशा में चलेंगे तो कभी भी सही दिशा नहीं मिलेगी।

आपके भीतर असीम संभावनाएं हैं एक मजबूत चरित्र के साथ अपने व्यक्तित्व को विकसित करने की। जिसे आप जानते तो हैं पर अब उसे समझना ज़रूरी है। सफलता की कूंजी हमारे भीतर ही कहीं छीपी है। आपने क्या धन अर्जित किया या क्या कर रहे हैं यह महत्वपूर्ण नहीं है पर उस धन को अर्जित करने के लिए आपने क्या अपनाया वो बेहद महत्वपूर्ण है। आपका व्यक्तित्व, आपकी क्षमता, आपके विचार और आपके आदर्श ही आपके चरित्र का निर्धारण करते हैं।

EXAMPLES :

1. AMITABH BACCHAN AND SHAKTI KAPOOR
2. RATAN TATA AND VIJAY MALYA 



" सभी शक्तियां आपके भीतर है " स्वामी विवेकानंद 


सम्प्रेषण  कौशल :

सम्प्रेषण कौशल एक माध्यम है किसी अन्य व्यक्ति के साथ संवाद का। इसमें अन्य कई बातें भी शामिल हैं जैसे चेहरे के हाव - भाव, बॉडी लेंग्वेज, हमारी पिच और आवाज़ की टोन। सम्प्रेषण  कौशल का महत्व सिर्फ प्रबंधन के क्षेत्र तक ही सिमित नहीं है, प्रभावी सम्प्रेषण कौशल अब हमारे जीवन के हर पहलु में आवश्यक है। अब हमें कारोबार और व्यापार में भी सम्प्रेषण कौशल के महत्व पर ध्यान केन्द्रित करना पड़ता है। अगर हम अखबार में नौकरी के विज्ञापनों पर नज़र डालें तो देखेंगे की उम्मीदवारों के लिए अच्छा सम्प्रेषण कौशल अति आवश्यक ऐसा लिखा होता है। शायद यही मापदंड है जो सकारात्मक प्रभाव डालता है। क्योंकि शैक्षणिक और तकनिकी योग्यता उम्मीदवारों में कम ज्यादा होने की संभावना होती है। 

प्रभावी सम्प्रेषण कौशल के बिना एक व्यक्ति के लिए यह असंभव है की वह कार्पोरेट की सीढी चढ़ सके।
तरक्की उन्ही की संभव हो पाती  है जो वरिष्ठ प्रबंधन स्तर से लेकर सामान्य कर्मचारी स्तर तक प्रभावी संवाद कर सकें।

रिश्तों के बीच अगर हम सम्प्रेषण की बात करें तो याद रहे अच्छे संबंधो को बनाये रखने के लिए स्वस्थ जीवन शैली ही एक मात्र रास्ता है। अच्छा सम्प्रेषण कौशल प्रियजनों के साथ संबंधो को मधुर बनाने में मदद करता है। बहस और असहमति को न्यूनतम करें। तर्क एवं अपमान जनक शब्दों से बचें।

रिश्तों में सम्प्रेषण कौशल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है पहल करना।
अपने अच्छे दोस्त से काफी लम्बे अंतराल से अगर आपकी बात नहीं हुई है तो प्रतीक्षा करने की बजाए आप खुद फोन करने की पहल करें।
कई बार हम डर या हिचक की वजह से बात नहीं कर पाते हैं।
हम हज़ार बार सोचते हैं लेकिन यह गलत है।
एक अच्छे सम्प्रेषण कौशल से परिपूर्ण व्यक्ति हमेशा पहल को महत्व देता है।
अगर हमें व्यक्तिगत और कार्पोरेट जगत में तरक्की करना है तो सम्प्रेषण कौशल के महत्व को समझ कर इसे विकसित करना अति आवश्यक है।

EXAMPLES :

1. TRAVELLING.
2. TO NORMALIZE THE RELATIONS.


प्रस्तुतीकरण :

जब भी कोई जानकारी एक व्यक्ति या समूह के साथ साझा की जाती है तो इसे प्रस्तुतीकरण कहते हैं।
आइये अब समझते हैं इसे किस प्रकार प्रभावी ढंग से पेश किया जाना चाहिए और इसके कितने प्रकार हैं।

अनौपचारिक -  हम  फिल्म की कहानी या एक व्यक्ति या समूह के साथ एक पिकनिक का अनुभव साझा करते हैं। 

औपचारिक - उदाहरण के लिए वोडाफोन बिक्री अधिकारी अपनी कम्पनी की योजनाओ को ग्राहक के समक्ष प्रस्तुत करता है।
आम जन समूह के समक्ष कंपनी डाइरेक्टर द्वारा नई  कम्पनी के शुरुआत की घोषणा।

कुछ महत्वपूर्ण नियमों का पालन करें जब हम  प्रस्तुतिकरण  कर रहे हों।

1. पृष्ठभूमि बनाएँ
2. उदाहरणों, तथ्यों और आंकड़ों से अपनी बात को समर्थन दे।
3. उपयुक्त शारीरिक भाषा का प्रयोग। 
4. निष्कर्ष।

FOLLOWED BY EXAMPLE OF CONTACT LENS STORY.

ATTITUDE IS EVERY THING..........YES EVERY THING.


दृष्टिकोण या रवैय्या - 


यह घटनाओ की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण है क्या हुआ है की तुलना में भी अधिक महत्वपूर्ण है।
हमारा रवैय्या निर्धारित करता है हम खुश हैं या नाखुश हैं। हम सम्पूर्ण हैं या अधूरे हैं।
सकारात्मक दृष्टिकोण हमें भरोसा दिलाता है की हम कभी असफल नहीं हो सकते। हमें आन्तरिक सफलता की गारंटी देता है।
यह हमारी मनोवृत्ति और ऊंचाई समायोजक निर्धारित करता है कि हम ऊँची उड़ान भरेंगे या फिर नीचे ही रहेंगे, हम डूब जायेंगे या उबरेंगे, हम उच्च है या तुच्छ, हमारा उत्थान होगा या पतन।
मायने यह रखता है की आप बुरे दौर में कैसा रवैय्या अपना रहे हैं।यह चरित्र की शक्ति का निर्धारण करता है। चुनौती पूर्ण समय में उम्मीद जगाता है। अच्छे के लिए सोचें इससे शानदार क्या हो सकता है।


7 तरीके हैं  अपने दृष्टिकोण में सुधार के लिए -

1. उत्साहित रहें - 

कार्पोरेट जगत में उत्साह का विशेष स्थान है।
यह सफल बिक्री का मुख्य कारक है।
उत्साह से सोचें, बात करें।
उत्साही अभिनय द्वारा उत्साही बने।
अपने विचारो और कार्यों में उत्साह लाकर अपने स्तर  की स्थापना करें।

2. सब कुछ आपके लिए जीवित है -

तेज़ चलें।
जोश के साथ हाथ मिलाएं ये एक सकारात्मक उर्जा का प्रवाह करता है।
अच्छी मुस्कान रखें।
अपने भाषण में पिच और टोन  को बदलें।
उत्साह वर्धक कार्यों की और अग्रसर रहें।
आप उर्जावान और उत्साहित महसूस करेंगे।

EXAMPLE -

PARKER AND MONT BLANC.

YOUR VEHICLE.
YOUR BELONGINGS.


3. अच्छी खबर का संचार करें -

बुरी खबर नकारात्मक उर्जा का संचार करती है।
यार मेरे पास एक अच्छी खबर है ! उत्साहवर्धन और सकारात्मक उर्जा का संचार करती है।
सुबह की धुप लें।
लोगों को प्रोत्साहन दें।

4. कल्पना की शक्ति -

शक्तिशाली कल्पना सफल परिणामो को प्रभावित करती है।
कल्पना और इच्छा शक्ति की प्रतिस्पर्धा में जीत कल्पना की ही होती है।
दबाव से कभी भी सफलता हासिल नहीं होती।
सभी सफल व्यक्ति कल्पना शक्ति से ही सफल हुए हैं।
अपनी आँखे बंद करें और कल्पना करें।


EXAMPLE -

DHEERU BHAI AMBANI AND NARENDRA MODI.

5. सकरात्मक आत्मसंवाद -

आज अपने आप से आपने क्या कहा था ?
क्या आज आप दुखी थे।
क्या काम पर कुछ विवाद हुआ था।
हम जैसा सोचते हैं 100% वैसा ही महसूस करते हैं।
अगर हम नकारात्मक सोचेंगे तो कार्यों में भी नकारात्मकता आएगी।
याद रहे - मै स्वस्थ हूँ, समृद्ध हूँ और खुश हूँ।
मैंने ठान लिया है तो मै कर के रहूँगा और करूँगा तो कोई अंतर्द्वंद नहीं बस करना है।

6. दूसरों के प्रति प्रेम की भावना -

 मुझे अधिक से अधिक प्यार कैसे मिलेगा।
प्रोत्साहन, आशावादी दृष्टिकोण और मदद।
सहजता।
ख़ुशी और सद्भावना का प्रसार।
क्षमा।
देखभाल।


EXAMPLE -

MOTHER TARESSA.

7. NEVER MISS 1 TO 6.


GO..........CHOOSE YOUR ATTITUDE AND CHOOSE YOUR OWN WAY.




आपकी आवाज़ अद्वितीय है -


ऐसा कोई भी नहीं है जिसकी आवाज़ हुबहू आपके जैसी हो।

अगर एक आवाज़ का ग्राफिक प्रिंट लिया जाये तो आप देखेंगे कई लहरें दिखाई देंगी, ध्वनी तरंगों में उच्च अंक और कम अंको के स्तर दिखाई देंगे। आपकी बोलने की शैली अलग है, क्षेत्रीय उच्चारण अलग है, टोन अलग है। यह एक सबसे बड़ा अंतर जो औरों से आपको जुदा करता है।
इसमें सुधार के लिए आप अपनी आवाज़ को रिकार्ड करें और सुने, उसमे हो रही गलतियों को पहचाने  और इसमें निखार लाने के लिए किसी संस्था से प्रशिक्षण भी ले सकते हैं यह एक प्रकार का इन्वेस्टमेंट है आपके लिए। यह आपको सर्वोत्तम वक्ता बनाने में मदद करेगा और आप एक प्रभावशाली वक्ता कहलाये जायेंगे।



आत्मविश्वास -


आत्मविश्वास शक्तिशाली व्यक्तित्व के लिए एक महान मन्त्र है। यदि आप अपने कार्यों और निर्णयों के बारे में आश्वस्त नहीं हैं तो सफलता कभी नहीं मिल सकती। दृढसंकल्प और विश्वास के साथ अपने निर्णयों को सुनिश्चित करें और लक्ष्य की और बढ़ें तब और लोग भी आप पर विश्वास करेंगे और सफलता की सीधी चढ़ने से आपको कोई भी नहीं रोक पायेगा।

EXAMPLE - 

YUVRAJ SINGH.



दिमाग का व्यवस्थित आयोजन -

अपने विचारों, भावनाओ और कल्पना का प्रभार लेकर प्रतिक्रियाओं को नियंत्रि करें।
व्यवस्थित प्रिप्लानिंग आपकी कार्य कुशलता को बढ़ाएगी।
जीवन के लक्ष्यों की और ध्यान केन्द्रित करें।
जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलेगी।


वफादार, ईमानदार और सच्चे बने - 

इन गुणों के साथ आपको लम्बा रास्ता तय करना है।
सफलता का कोई शोर्टकट नहीं है।
कड़ी मेहनत  से ही लक्ष्य प्राप्ति संभव है।
किसी को नीचा दिखाने का प्रयास न करें।

लोगों को पसंद करें - 

अगर आप चाहते हैं की अन्य लोग भी आपको पसंद करें तो लोगों की सरहना करें।
उनकी बातों पर ध्यान दे।
गुणों की प्रशंसा करें।
शिकायत एवं निंदा से बचें।
लोगों के साथ संवाद स्थापित करते समय ईमानदार  रहें।
लोगों के हितों का ध्यान रखें।
लोगों को महत्व दें।
बुनयादी शिष्टाचार का ध्यान रखें।


अनिश्चय से बचें - 


अपने निर्णयों के लिए किसी पर निर्भर न रहें। इससे आपके भविष्य में सुराग लग जायेगा और जीवन भर पछताना पड़ेगा। मार्गदर्शन लेना ज़रूरी है लेकिन अंतिम निर्णय आपका ही होना चाहिए।




अपनी उपलब्धियों की सराहना करें और गलतियों का विश्लेषण करें -


उपलब्धियों और गलतियों की सूची बनायें।
अपने आप को ईनाम दें।
सच्चे दोस्तों को पहचाने।
गलतियों पर विचलित न हों।
सुधार करें।


अच्छा दिखने की कोशिश करें -

पहली छाप ही आखरी छाप होती है।
शरीर को स्वस्थ रखें।
खड़े रहने और बैठने का सही ढंग सीखें।
व्यायाम करें।
जीवन शैली में बदलाव लायें।
उर्जावान रहें।
आत्मविश्वास में वृद्धि होगी।
बदलाव लायें।


अच्छी जीवन शैली अपनाएं -

फास्ट फ़ूड से दूर रहें।
सात्विक भोजन लें।
संतुलित आहार लें।
6 से 8 घंटे की नीद लें।
योग एवं ध्यान करें।
नशे से दूर रहें।
स्वस्थ शरीर और स्वस्थ मन ही सब कुछ है।


हास्य की नब्ज़ - 

हास्य की नब्ज़ आकर्षक व्यक्तित्व का महत्वपूर्ण घटक है।
इसे पहचाने।
ध्यान रहे कहीं इससे किसी के दिल को ठेस न पहुंचे।
खुद पर हँसना सीखें।


सकरात्मक सोच और सकरात्मक कर्म - 

सकारात्मक रहें।
कठिनाइयों से लड़ें 
चुनौतियों का सामना करें।


अच्छे वक्ता बने -

यह आकर्षक व्यक्तित्व का अहम पहलू है।
विषय चुने।
विचार लिखें।
परिचय से निष्कर्ष तक जाएँ।
हास्य का पुट डालें।
उचित बिन्दुओं पर विराम लें।
शारीरिक अभिव्यक्ति करें।
रटने की बजाए आत्मसात करें।


भय और चिंता पर नियंत्रण रखें - 

चिंता और तनाव को जीतें।
सोचें इससे भविष्य में क्या हो सकता है।
नए विचारों और समाधान के बारे में सोचें।
हमेशा सामना करने के लिए तैयार रहें।


निजी, पेशेवर और सामाजिक ज़िन्दगी में संतुलन बनायें -

दफ्तर का काम घर पर न लायें।
परिवार को समय दें।
सामाजिक रहें।
अपने लिए समय दें।


लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित करें - 

बाधाओं को पहचाने।
प्राथमिकता के अनुसार समस्या का समाधान करें।


समय प्रबंधन - 

आपकी दक्षता में सुधार और सफलता का प्रतीक है।
योजनाकार बने।
हर दिन के कार्यों की सूची बनायें।
प्राथमिकता के अनुसार कार्य करें।
कल की योजना के लिए आज के समय का उपयोग करें।

विश्राम करें - 

संगीत सुने।
हिल स्टेशन पर जाएँ।
प्रकृति का आनंद लें।
काम के समय एक छोटा सा ब्रेक लें।
अपने शौक को पूरा करें।
यह आपके जीवन से तनाव और चिंता ख़त्म करने में मदद करेगा।


धन्यवाद ................

जयदीप भागवत .























Tuesday, March 6, 2012

KITNE AJEEB RISHTE HAIN YAHAN PE..............................

कितने अजीब रिश्ते हैं यहाँ पे ........................................

हाल ही में हुए शहला मसूद हत्याकांड में गिरफ्तार मुख्य आरोपी जाहिदा ने रिश्तों को तार-तार करने वाले जो खुलासे किये हैं उसने रिश्तों की अहमियत और गरिमा पर एक सवाल उठा दिया है. अपनी मह्त्वाकान्शा और इर्ष्या की भावना ने उसके मन में इतना ज़हर घोल दिया की अपनी खास सहेली को उसने मौत के घाट उतार दिया. बिना यह सोचे समझे की इसके परिणाम क्या होंगे परिवार का क्या होगा. आज रिश्तों की परिभाषा कितनी बदल चुकी है समाज में. आखिर क्यों पनप रही है इस प्रकार की विकृतियाँ ? क्यों इन्सान इतना स्वार्थी और असंवेदनशील होता जा रहा है ? कौन ज़िम्मेदार है इसके पीछे ?  

जब हम समाज में इंसानी सभ्यता की बात करते हैं तो वहां रिश्तों का एक महत्वपूर्ण स्थान है.रिश्ते समाज की ही देन हैं चाहे वो माँ - बाप, पति - पत्नी, भाई - बहन, दोस्त इत्यादि जिन्हें सामाजिक रूप से अपनाया भी जाता है और वैध भी हैं. लेकिन आज के दौर में इन सब रिश्तों के परे एक रिश्ता जो काफी तेज़ी से पनप रहा है वो है " अवैध सम्बन्ध  " जिसे समाज द्वारा न पहले स्वीकृति थी न आज है. आज भी इन रिश्तों को सम्मान की दृष्टि से नहीं देखा जाता. अगर हम सामाजिक इतिहास पर नज़र डालें तो ये रिश्ते सदियों से पनप रहे हैं. राजा - महाराजाओं के काल में ये रिश्ते उच्च वर्ग तक सिमित थे लेकिन समय की बदलती हुई करवट ने निम्न वर्ग को भी अपनी चपेट में लिया. प्रारंभिक दौर में सिर्फ मध्यम वर्ग ही ऐसा था जो इससे अछूता था लेकिन हावी होती पाश्चात्य संस्कृति और टेली-विज़न के माध्यम से इसने  मध्यम वर्ग में भी अपने पैर फैला लिए. पहले इन संबंधों को लेकर एक सामाजिक भय था लेकिन वासना, स्वार्थ और व्यावसायिक मह्त्वाकान्शा ने भय को दरकिनार कर इस रिश्ते को बढ़ावा दिया, यह कोई पहली घटना नहीं है ऐसी कई घटनाएँ हैं जिसमे अवैध संबंधो की वज़ह से जघन्य हत्या कांड हुए हैं. एक घटना कई परिवारों को बर्बाद कर देती है जिसका ज़ख्म पीढ़ी दर पीढ़ी ताज़ा रहता है.

टेली-विज़न और फिल्मो में अवैध संबंधो को जितनी सहजता से दिखाया जाता है उतनी ही आसानी से इंसान भी उसे अपनी जीवन शैली में ढालने की कोशिश करता है. इन संबंधो का न तो कोई चेहरा होता है न ही कोई पहचान बस ये पनपते रहते हैं और एक दिन इन्सान को ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर देते हैं जहाँ न तो ज़मीर की आवाज़ सुनाई देती है न विवेक काम करता है और नतीजे ................. हम देख ही रहे हैं. 
मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से अगर देखें तो आज मनुष्य को आवश्यकता है आत्म चिंतन की वासना और स्वार्थ से बाहर आने की तभी हम रिश्तों को उनका वास्तविक और वैध स्वरुप दे पाएंगे अन्यथा यही कहते और सुनते रहेंगे ...................कितने अजीब रिश्ते हैं यहाँ पे..




Sunday, February 26, 2012

KAHIN APRAADH HI SHRISHTI KE ANT KA AGAAZ TO NAHI...

कहीं अपराध ही सृष्टि के अंत का आगाज़ तो नहीं ............

यूँ तो सारी दुनिया में अपराध हो रहे हैं, पर अगर हमारे देश या प्रदेश पर गौर करें तो बढ़ते हुए अपराधों की संख्या के अलावा आपको उसमे विविधता भी देखने को मिलेगी, खासतौर पर अकारण अपराधों की श्रेणी में हमारा प्रदेश सबसे आगे है. हाल ही में रीवा में एक बस कंडक्टर द्वारा महज़ ५ रुपये के विवाद पर एक छात्र को बस से धक्का दे दिया गया और डिवाईडर से टकराकर उसकी मौत हो गई. कभी नाइट्रावेट के नशे में मासूम लोगों को मौत के घाट उतार दिया जाता है तो कभी मामूली से विवाद में हत्या हो जाती है.हमारे यहाँ अपराध मौसम की तरह बदलते हैं कभी राजनैतिक अपराधों का दौर होता है तो कभी घोटालों का या रिश्वतखोरों का कभी भू माफियाओं का दौर रहता है तो कभी आर्थिक अपराधों का, हाल ही में दौर चला था बलात्कारों का जिसने सारे प्रदेश को शर्मसार कर दिया और हिंदुस्तान का दिल कहे जाने वाले मध्य प्रदेश का दिल सारी दुनिया को दिखा दिया. जिन छेत्रों में ये वारदात हुई अगर हम उन छेत्रों के नामो का संधि विच्छेद करें तो समझ मे आएगा की इंसानियत, संस्कृति और सभ्यता किस तरह शर्मसार हुई सबसे पहला कांड हुआ बेटमा में इस कसबे के नाम में बेटा और माँ दोनों शब्द शामिल हैं जहाँ कई बेटों ने मिल कर माँ के नाम को कलंकित किया. देपालपुर गाँव इस नाम से यह आशय लगाया जा सकता है की इसके पालक देवता हैं यहाँ पर एक मूक बधिर के साथ बलात्कार हुआ और जनता मूक बनी रही और प्रशासन बधिर. देवास नाका जिसके नाम में ही देवताओं का वास है वहां एक महिला के साथ पुनः सामूहिक दुष्कृत्य किया गया. लूट, डकैती, चोरी ये अपराध आजकल आम अपराधों की श्रेणी में आते हैं. और हत्या और बलात्कार जैसे संगीन अपराध धीरे - धीरे आम होते जा रहे हैं. कई अपराधियों को सजा हो जाती है कई रिहा हो जाते है और कई खुले आम घूम रहे हैं, क्या सिर्फ सजा देने से अपराधों का अंत संभव है ? यह एक अत्यंत ही गंभीर एवं सोचनीय विषय है जिसका जवाब शायद कानून विशेषज्ञों के पास भी नहीं मिलेगा.
आज हमारे देश ने आर्थिक, व्यावसायिक और तकनिकी उन्नति तो काफी रफ़्तार से कर ली है पर उतनी ही रफ़्तार के साथ हमारा सांस्कृतिक और सामाजिक पतन भी हुआ है. जब भी अपराध होते हैं तो इसका कलंक संस्कृति, समाज और सभ्यता पर लगता है. इसका कारण कुछ हद तक अशिक्षा को माना जाये तो सही पर शिक्षित वर्ग भी अपराधों में शामिल है उसका ज़िम्मेदार कौन है. अपराध समाज की ही देन है और इस पर रोक भी समाज द्वारा ही लगाई जा सकती है कानून तो एक नियंत्रण का ज़रिया है.
हम रोज़ सुबह की शुरुआत अखबार से करते हैं, एक सकारात्मक सोच लेकर लेकिन रोज़ अखबारों में आपराधिक ख़बरें पढ़ कर मन विचलित हो जाता है. कई बार मन में यह ख्याल भी आता है की एक दिन तो ऐसा अखबार प्रकाशित होगा जिसमे एक भी अप्रिय घटना का समाचार न हो शायद वो हमारी ज़िन्दगी का पहला और सबसे अविस्मर्णीय सकारात्मक दिन होगा. अन्यथा कहीं ऐसा न हो की अंतर्राष्ट्रीय, खेल, व्यवसाय जैसे पृष्ठों की तरह एक दिन अपराध का भी एक अलग से पृष्ठ अखबार में देखने को मिले. कई भविष्य वक्ताओं ने कहा है की २०१२ में सृष्टि का अंत है यह होगा या नहीं यह तो कोई नहीं जानता लेकिन अपराधों ने जो इंसानियत का अंत किया है क्या यही सृष्टि के अंत का आगाज़ तो नहीं................................... ज़रा सोचिये ...


JAIDEEP R.BHAGWAT

19.. SUNCITY 

INDORE
9755591736........jrbhagwat@gmail.com